स्वांग में किसी प्रसिद्ध रूप की नकल रहती है। इस प्रकार से स्वांग का अर्थ किसी विशेष, ऐतिहासिक या पौराणिक चरित्र, लोकसमाज में प्रसिद्ध चरित्र या देवी, देवता की नकल में स्वयं का शृंगार करना, उसी के अनुसार वेशभूषा धारण करना एवं उसी के चरित्र विशेष के अनुरूप अभिनय करना है। यह स्वांग विशेष व्यक्तित्व की नकल होते हुए भी बहुत जीवंत होते हैं कि इनसे असली चरित्र होने का भ्रम भी हो जाता है। कुछ जातियों और जनजाति के लोग तो स्वांग करने का कार्य ही अपनाए हुए हैं। इस विधा में हास्य की प्रधानता होती है जिसमें विचित्र वेशभूषाओं में कलाकार हँसी मज़ाक के द्वारा दर्शकों का मनोरंजन करते हैं। ...और पढ़ें
महारास भगवान श्रीकृष्ण से सम्बंधित है। चैत्र मास की पूर्णिमा को 'चैते पूनम' भी कहा जाता है। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज में उत्सव रचाया था, जिसे 'महारास' के नाम से जाना जाता है। यह महारास कार्तिक की पूर्णिमा को शुरू होकर चैत्र की पूर्णिमा को समाप्त हुआ था। मथुरा के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल वृन्दावन में स्थित निधिवन को वह स्थान माना जाता है, जहाँ श्रीकृष्ण ने एक साथ कई गोपियों संग रास रचाकर 'महारास' किया। सोलह कलाओं से परिपूर्ण भगवान श्रीकृष्ण का अवतार मुख्यत: आनंद प्रधान माना जाता है। उनके आनंद भाव का पूर्ण विकास उनकी मधुर रस लीला में हुआ है। यह मधुर रस लीला उनकी दिव्य रास क्रीड़ा है, जो शृंगार और रस से पूर्ण होते हुए भी इस स्थूल जगत के प्रेम व वासना से मुक्त है। ...और पढ़ें