पियारे! तुम ही तुम्हरे जोग -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

श्रीराधा के प्रेमोद्गार-श्रीकृष्ण के प्रति

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राग खमाच - तीन ताल


पियारे! तुम ही तुम्हरे जोग।
तुम्हरे पटतर कहूँ न को‌ऊ सुर-नर, सुख-सम्भोग॥
राखौ मोहि जहाँ मन भावै, सुरग-नरक-नरलोक।
पै तुम बसौ दृगंचल मेरे, मन-भावन हर-सोक॥
तुम्हरे मधुर-मधुर स्मृति-सुख पै कोटि ब्रह्म-सुख वारौं।
जोग-सिद्धि केहि लेखे माहीं, वाहि बिघ्र गनि टारौं॥
लागे रहौ सदा हिय सौं पिय! सब बिबिधान-बिहीन।
पूरन प्रान पियारे! तुम महँ रहै सदा लय-लीन॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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