गुण अपार मुख एक कहाँ लों कहिये -छीतस्वामी

गुण अपार मुख एक कहाँ लों कहिये -छीतस्वामी

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गुण अपार मुख एक कहाँ लों कहिये ।
तजो साधन भजो नाम श्री यमुना जी को लाल गिरिधरन वर तबहि पैये ॥1॥
परम पुनीत प्रीति की रीति सब जानिके दृढकरि चरण कमल जु गहिये ।
छीतस्वामी गिरिधरन श्री विट्ठल, ऐसी निधि छांडि अब कहाँ जु जैये ॥2॥

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