गुण अपार मुख एक कहाँ लों कहिये -छीतस्वामी गुण अपार मुख एक कहाँ लों कहिये । तजो साधन भजो नाम श्री यमुना जी को लाल गिरिधरन वर तबहि पैये ॥1॥ परम पुनीत प्रीति की रीति सब जानिके दृढकरि चरण कमल जु गहिये । छीतस्वामी गिरिधरन श्री विट्ठल, ऐसी निधि छांडि अब कहाँ जु जैये ॥2॥ संबंधित लेख देखें • वार्ता • बदलेंछीतस्वामी के पद भई अब गिरिधर सों पैहचान • गोवर्धन की सिखर चारु पर • बादर झूम झूम बरसन लागे • हमारे श्री विट्ठल नाथ धनी • लाल ललित ललितादिक संग लिये • धन्य श्री यमुने निधि देनहारी • आगे गाय पाछें गाय इत गाय उत गाय • जा मुख तें श्री यमुने यह नाम आवे • धाय के जाय जो श्री यमुना तीरे • सुमिर मन गोपाल लाल सुंदर अति रूप जाल • भोर भए नवकुंज सदन तें • भोग श्रृंगार यशोदा मैया • जय जय श्री सूरजा कलिन्द नन्दिनी • गुण अपार मुख एक कहाँ लों कहिये वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह क्ष त्र ज्ञ ऋ ॠ ऑ श्र अः