लाल ललित ललितादिक संग लिये -छीतस्वामी

लाल ललित ललितादिक संग लिये -छीतस्वामी

Prev.png


उत्सव भोग आये तब


लाल ललित ललितादिक संग लिये बिहरत वर वसन्त ऋतु कला सुजान।
फूलन की कर गेंदुक लिये पटकत पट उरज छिये हसत लसत हिलि मिलि सब सकल गुन निधान॥1॥
खेलत अति रस जो रह्यो रसना नहिं जात कह्यो निरखि परखि थकित भये सघन गगन जान।
छित स्वामी गिरिवरधर विट्ठल पद पद्म रेनु वर प्रताप महिमा ते कियो कीरति गान॥2॥

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः