हमारे श्री विट्ठल नाथ धनी -छीतस्वामी

हमारे श्री विट्ठल नाथ धनी -छीतस्वामी

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हमारे श्री विट्ठल नाथ धनी ।
भव सागर ते काढे कृपानिधी राखे शरन अपनी ॥1॥
रसना रटत रहत निशिवासर शेष सहस्र फनी ।
छीतस्वामी गिरिधरन श्री विट्ठल त्रिभुवन मुकुट मनी ॥2॥

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