अधखुली कँचुकी उरोज अध आधे खुले -पद्माकर अधखुली कँचुकी उरोज अध आधे खुले , अधखुले बैष नख रेखन के झलकैं । कहैं पदमाकर नवीन अध नीबी खुली , अधखुले छहरि छराके छोर छलकैं । भोर जग प्यारी अध ऊरध इतै की ओर , भायी झिकि झिरकि उघारि अध पलकैं । आँखै अधखुलीं अधखुली खिरकी है खुली , अधखुले आनन पै अधखुली अलकैं । संबंधित लेख - वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह क्ष त्र ज्ञ ऋ ॠ ऑ श्र अः