आरस सों आरत सँभारत न सीस पट -पद्माकर

Prev.png

आरस सों आरत सँभारत न सीस पट -पद्माकर


आरस सों आरत सँभारत न सीस पट ,
गजब गुजारत गरीबन की धार पर ।
कहैं पदमाकर सुरा सों सरसार तैसे ,
बिथुरि बिराजैं बार हीरन के हार पर ।
छहरि छहरि छिति छाजत छरा के छोर,
भोर उठि आई केलि मन्दिर दुवार पर।
एक पग भीतर और एक देहरी पै धरै ,
एक कर कंज एक कर है किवार पर

Next.png

संबंधित लेख

-

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः