ज्येष्ठ पूर्णिमा

ज्येष्ठ पूर्णिमा का हिन्दू धर्म में बड़ा ही महत्त्व बताया गया है। इस दिन गंगा स्नान का भी महत्त्व है। गंगा में स्नान के बाद पूजा-अर्चना तथा दान-दक्षिणा आदि से व्यक्ति के मनोरथ पूर्ण होते हैं। ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन स्त्रियाँ वट वृक्ष की पूजा करती हैं।

वट सावित्री व्रत

सौभाग्य को देने वाला और संतान की प्राप्ति में सहायता देने वाला व्रत "वट सावित्री व्रत" माना गया है। भारतीय संस्कृति में यह व्रत आदर्श नारीत्व का प्रतीक बन चुका है। स्कंद पुराण तथा भविष्योत्तर पुराण के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को यह व्रत करने का विधान है। वट वृक्ष का पूजन और सावित्री-सत्यवान की कथा का स्मरण करने के विधान के कारण ही यह वट सावित्री व्रत के नाम से प्रसिद्ध हुआ।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

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