मीराँबाई की पदावली
मथुरा गमन
राग सोरठ
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ रसभरी = मधुर व सुरीली। नेह... चढ़ाय = प्रेम के मार्ग में अधबीच छोड़कर। मधुपुरी = मथुरा। छाय रहे = बैठ रहे।
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