हरि मोरे जीवन प्रान अधार -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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विनय



हरि मोरे जीवन प्रान अधार ।। टेक ।।
और आसिरो नाहीं तु बिन, तीनूँ लोक मँझार ।
आप बिना मोहि कछु न सुहावै, निरख्‍यौ सब संसार ।
मीरां कहै मैं दास राबरी, दीज्‍यौ मती बिसार ।।4।।[1]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. और = अन्य, दूसरा। आसिरो = आश्रय, शरण। मँझार = मध्य, में। निरख्यौ = देख लिया। मती = मत।

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