मीराँबाई की पदावली
राग पीलू
हमने सुणीछै हरि अधम उधारण । |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सुणीछै = सुना है। उधारण = उद्धार करने वाले हैं। तारण = तारने वाले। अरजि = अर्जी वा प्रार्थना पर। गरीज = ललकार कर। ध्यायो = दौड़ पड़े। निवारण = दूर कर देने वाले। द्रोपतिसुता = द्रुपदसुता, द्रौपदी। बधायो = बढ़ा दिया। दमसासन... मारण = दुःशासन का अभिमान चूर्ण कर देने वाले। प्रतग्या = प्रतिज्ञा। हरणाकस = हिरण्यकश्यप। नख... विदारण = नखों द्वारा उदर फाड़ देने वाले। रिख पतनी = ऋषि पत्नी, अहिल्या। सदामाँ = भक्त सुदामा (देखो - पद 188)। विडारण = नष्ट वा दूर कर देने वाले परि = पर, संबंध वा बारे में। अवेरि = देर। किण कारण = किन कारणों से।
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