राधा कृष्ण कृपा कटाक्ष स्तोत्र पृ. 34

राधा कृष्ण कृपा कटाक्ष स्तोत्र

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त्रैलोक्य विजय श्री कृष्ण कवच

सद्धित्वममरत्वं च दास्यत्वं श्रीहरेरपि।
यदि स्यात् सिद्ध कवचः सर्वप्राप्नोति निश्चितं।। 31 ।।
स भवेत् सिद्धि कवचो दशलक्षं जपेत यः।
यो भवेत् सिद्ध कवचः सर्वज्ञ स भवेद ध्रुवम्।। 32 ।।
इदं कवचमज्ञात्वा भजेत कृष्णं सुमन्दधीः।
कोटि कल्प प्रजाप्तोऽपि न मन्त्रः सिद्धिदायक।। 33 ।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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