राधा कृष्ण कृपा कटाक्ष स्तोत्र पृ. 33

राधा कृष्ण कृपा कटाक्ष स्तोत्र

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त्रैलोक्य विजय श्री कृष्ण कवच

कण्ठे वा दक्षिणे बाहौ सोऽपि विष्णुर्न संशयः।
स च भक्तो वसेद् यत्र लक्ष्मीर्वाणी वसेत ततः।। 26 ।।
यदिस्यात् सिद्ध कवचो जीवन्मुक्तो भवेत्त सः।
निश्चितं कोटिं वर्षाणां पूजायाः फलमाप्नुयात्।। 27 ।।
राजसूय सहस्राणि बाजपेय शतानि च।
अश्वमेधायुतान्येव नरमेधायुतानि च।। 28 ।।
महादानानि यान्येव प्रादक्षिण्यं भुवस्तथा।
त्रैलोक्यविजयस्यास्य कलां नार्हंन्ति षोडशीम्।। 29।।
व्रतोपवास नियमाः स्वाध्यायोऽध्ययनं तपः।
स्नानं च सर्व तीर्थेषु नास्यार्हन्ति कलामपि।। 30 ।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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