राधा कृष्ण कृपा कटाक्ष स्तोत्र पृ. 28

राधा कृष्ण कृपा कटाक्ष स्तोत्र

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त्रैलोक्य विजय श्री कृष्ण कवच

महादेव उवाच
त्रैलोक्य विजयस्यास्य कवचस्य प्रजापितः।
ऋषिश्छन्दश्च गायत्री देवी राधेश्वरः स्वयम्।। 1 ।।
त्रैलोक्य विजयप्राप्तौ विनियोगः प्रकीर्तितः।
परात्परं च कवचं त्रिषु लोकेषु दुर्लभम्।। 2 ।।
प्रणवो मे शिरःपातु श्रीकृष्णाय नमः सदा।
पायात् कपालं कृष्णाय स्वाहा पंचाक्षरः स्मृतः।। 3 ।।
कृष्णेति पातु नेत्र च कृष्ण स्वाहेति तारकम्।
हये नम इत्येवं भ्रूलतां पातु मे सदा।। 4 ।।
ओम् गोविन्दाय स्वाहेति नासिकां पातु संततम्।
गोपालाय नमो गण्डो पातु मे सर्वतः सदा।। 5 ।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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