भीष्म पितामह -अखण्डानन्द सरस्वती पृ. 80

श्री भीष्म पितामह -स्वामी अखण्डानन्द सरस्वती

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भीष्म के द्वारा श्रीकृष्ण का माहात्म्य कथन, भीष्म की प्रतिज्ञा-रक्षा के लिये पुन: भगवान् का प्रतिज्ञा भंग, भीष्म का रण में पतन

कर्ण ने कहा- 'पितामह! आपकी एक-एक बात ठीक है। मैं कुन्ती का पुत्र हूँ; सूत का नहीं; परंतु दुर्योधन के धन और कृपा से पलकर मैं इतना बड़ा हुआ हूँ, यह भी सत्य है। मैं दुर्योधन को अपना जीवन अर्पित कर चुका हूँ। मेल होने की कोई आशा दीखती नहीं। मैं जानता हूँ कि श्रीकृष्ण की सहायता से पाण्डव अजेय हैं। फिर भी मैं जान-बूझकर उनसे युद्ध करने का उत्साह रखता हूँ। इसलिये आप मुझे आज्ञा दीजिये कि मैं अर्जुन से लड़ूँ। मेरी आन्तरिक इच्छा है कि आपसे आज्ञा लेकर ही युद्ध करुं। मैंने क्रोध या चंचलता के कारण कुछ भी भला-बुरा कहा हो, उसे और मेरे दुर्व्यवहार को क्षमा कीजिये।'

श्री भीष्म पितामह ने कहा-'बेटा! यदि यह बैर-भाव नहीं मिट सकता तो तुम युद्ध करो। आलस्य, प्रमाद और क्रोध को छोड़कर, शक्ति और उत्साह के अनुसार, सदाचार का पालन करते हुए अपने निश्चित कर्तव्य को पूर्ण करो। तुम्हारी जो इच्छा हो वह पूर्ण हो। अर्जुन के बाणों से तुम्हें उत्तम गति प्राप्त होगी, क्षत्रिय के लिये धर्मयुद्ध ही सर्वोत्तम कर्म है। यदि इस लोक में तुम लोग सुख-शान्ति से न रह सके तो न सही; धर्मविपरीत काम करके कहीं उस लोक में भी सुख-शान्ति से वंचित न हो जाना। इसलिये मैं तुम्हें सलाह देता हूँ कि सर्वदा धर्म की रक्षा करते हु युद्ध करना।'

भीष्म से अनुमति लेकर कर्ण चला गया। भीष्म शरशय्या पर पड़े हुए सम्पूर्ण मनोवृत्तियों से भगवान् का चिन्तन करने लगे।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

भीष्म पितामह -अखण्डानन्द सरस्वती
क्रम संख्या विषय पृष्ठ संख्या
1. वंश परिचय और जन्म 1
2. पिता के लिये महान् त्याग 6
3. चित्रांगद और विचित्रवीर्य का जन्म, राज्य भोग, मृत्यु और सत्यवती का शोक 13
4. कौरव-पाण्डवों का जन्म तथा विद्याध्यन 24
5. पाण्डवों के उत्कर्ष से दुर्योधन को जलन, पाण्डवों के साथ दुर्व्यवहार और भीष्म का उपदेश 30
6. युधिष्ठिर का राजसूय-यज्ञ, श्रीकृष्ण की अग्रपूजा, भीष्म के द्वारा श्रीकृष्ण के स्वरुप तथा महत्तव का वर्णन, शिशुपाल-वध 34
7. विराट नगर में कौरवों की हार, भीष्म का उपदेश, श्रीकृष्ण का दूत बनकर जाना, फिर भीष्म का उपदेश, युद्ध की तैयारी 42
8. महाभारत-युद्ध के नियम, भीष्म की प्रतिज्ञा रखने के लिये भगवान् ने अपनी प्रतिज्ञा तोड़ दी 51
9. भीष्म के द्वारा श्रीकृष्ण का माहात्म्य कथन, भीष्म की प्रतिज्ञा-रक्षा के लिये पुन: भगवान् का प्रतिज्ञा भंग, भीष्म का रण में पतन 63
10. श्रीकृष्ण के द्वारा भीष्म का ध्यान,भीष्म पितामह से उपदेश के लिये अनुरोध 81
11. पितामह का उपदेश 87
12. भीष्म के द्वारा भगवान् श्रीकृष्ण की अन्तिम स्तुति और देह-त्याग 100
13. महाभारत का दिव्य उपदेश 105
अंतिम पृष्ठ 108

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