प्रेम सुधा सागर पृ. 249

श्रीप्रेम सुधा सागर

दशम स्कन्ध
(पूर्वार्ध)
सैंतीसवाँ अध्याय'

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प्रभो! अब परसों मैं आपके हाथों चाणूर, मुष्टिक, दूसरे पहलवान, कुवलयापीड हाथी और स्वयं कंस को मरते देखूँगा। उसके बाद शंखासुर, कालयवन, मुर और नरकासुर का वध देखूँगा। आप स्वर्ग से कल्पवृक्ष उखाड़ लायेंगे और इन्द्र के चीं-चपड़ करने पर उनको उसका मजा चखायेंगे। आप अपनी कृपा, वीरता, सौन्दर्य आदि का शुल्क देकर वीर-कन्याओं से विवाह करेंगे, और जगदीश्वर! आप द्वारका में रहते हुए नृग को पाप से छुडायेंगे।

आप जाम्बवती के साथ स्यमन्तक मणि को जाम्बवान से ले आयेंगे और अपने धाम से ब्राह्मण के मरे हुए पुत्रों को ला देंगे। इसके पश्चात् आप पौण्ड्रक मिथ्यावासुदेव का वध करेंगे। काशीपुरी को जला देंगे। युधिष्ठिर के राजसूय-यज्ञ में चेदिराज शिशुपाल को और वहाँ से लौटते समय उसके मौसेरे भाई दन्तवक्त्र को नष्ट करेंगे।

प्रभो! द्वारका में निवास करते समय आप और भी बहुत-से पराक्रम प्रकट करेंगे जिन्हें पृथ्वी के बड़े-बड़े ज्ञानी और प्रतिभाशील पुरुष आगे चलकर गायेंगे। मैं वह सब देखूँगा।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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