आवो मन मोहना जी जोऊँ थाँरी वाट -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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विरह निवेदन


राग टोड़ी


आवो मन मोहना जी जोऊँ थाँरी वाट ।। टेक ।।
खान पान मोहि नेक न भावै, नैण न लगे कपाट ।
तुम आयाँ बिनि सुख नहिं मेरे, दिल में बोहोत उचाट ।
मीराँ कहै मैं भई रावरो, छाँडो नाहिं निराट ।।99।।[1]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. - थाँरी = तुम्हारी। बाट = राह। नेक = ज़रा सा। कपाट = द्वार, पलक ( यहाँ पर )। आयाँ विनि = आये बिना। बोहोत = बहुत, ज़ोरों की। उचाट = व्याकुलता। रावरी = आपकी। निराट = निराश्रय, असहाय।

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