असा पिया जाण न दीजै हो -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

Prev.png
प्रेमाभिलाषा

राग मुल्‍तानी


असा पिया जाण न दीजै हो ।। टेक ।।
तन मन धन करि वारणै, हिरदे धरि लीजै, हो ।
आव सखी मिलि देखिये, नैणाँ रस पीजै, हो ।
जिह जिह विधि रीझै हरी, सोई विधि कीजै, हो ।
सुंदर स्‍याम सुहावणा, मुख देख्‍याँ जीजै, हो ।
मीराँ के प्रभु रामजी, बड़ भागण रीझै, हो ।।13।।[1]

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. असा = ऐसे, अनुपम। जाण = जाने। वारणै = न्योछावर, समर्पण। नैणाँ = नयनों वा नेत्रों द्वारा। रस = सौन्दर्य रस। जिहजिह = जिसजिस। बिधि = प्रकार वा ढंग से। सुहावणा = दर्शनीय, मनोहर। देख्याँ = देखकर। बड़भागण = बड़भागिन वा बड़े भाग्य वाली ही। रीझैहो = आनन्दित होती है।

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः