स्याम बतावत प्रेम-मूर्ति मोहि -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

श्रीराधा माधव लीला माधुरी

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राग भैरवी - ताल कहरवा


स्याम बतावत प्रेम-मूर्ति मोहि, सदा सुनावत आदर-बैन।
हौं निज हृदय देखि सरमाऊँ राखूँ नित्य झुकाये नैन॥
इत-‌उत दृष्टि जाय नहिं मेरी, सुनती रहूँ स्याम के बैन।
यासौं ध्यान-निरत हौं रहती, रखती निसि-दिन नीचे नैन॥
रूप-सुधा प्रिय स्याम-रूप की पीकर मस्त हो रहे ऐन।
और न कछु देखन चाहत यासौं लाड़िलि के नीचे नैन॥
प्रियतम की मुख-छबि मनहर पै नित्यहि मोहित रहते नैन।
दीठि न लगै, याहि डर सों वह सदा झुकाये रखती नैन॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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