स्याम-स्यामा सुषमाके सागर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

श्रीराधा माधव स्वरूप माधुरी

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राग भूपाली - तीन ताल


स्याम-स्यामा सुषमाके सागर।
कोटि काम-रति मोहन सोहन नव-नागरि नट-नागर॥
कल कमनीय किसोर-बयस दो‌उ स्याम-गौर सुख-‌आगर।
मधुर-मधुर मुसुकात परसपर निरखत छबि नित जागर॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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