सुमधुर स्मृति में होता नित -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

प्रेम तत्त्व एवं गोपी प्रेम का महत्त्व

Prev.png
राग तोड़ी - ताल कहरवा


सुमधुर स्मृति में होता नित ही मधुर मिलन-दर्शन-सुस्पर्श।
मधुर-मनोहर चलती चर्चा, चारु-मधुर उपजाती हर्ष॥
मधुर भाव, शुचि चाव मधुर, माधुर्य नित्य पाता उत्कर्ष।
मधुर नित्य निर्मल रसमय में रहता नहीं अमर्ष-विमर्श॥

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः