लज्जा शील मोह गृह भारी -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

प्रेम तत्त्व एवं गोपी प्रेम का महत्त्व

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राग भैरव - तीन ताल


 
लज्जा, शील, मोह गृह भारी, सिंहद्वार गुरुजन का मान।
धर्म-कपाट लगे थे अति दृढ़, ताला था कुल का अभिमान॥
वंशीरव के वज्रपात से टूटा लज्जा-दुर्ग महान।
भूमिसात हो गया सभी कुछ, हु‌ई भूमि सब एक-समान॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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