मिलो कभी मत, नहीं खबर लो -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

श्रीराधा के प्रेमोद्गार-श्रीकृष्ण के प्रति

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राग भीमपलासी - ताल कहरवा


मिलो कभी मत, नहीं खबर लो, कभी न दो सुख-दुख-संवाद।
पूर्णरूप से भूलो मन से, मरने पर भी करो न याद॥
मैं पर तुम्हें नहीं भूलूँगी, ताकूँगी न दूसरी ओर।
न्योछावर हो चुका तुम्हीं पर जीवन यह मेरा, चितचोर!
मरण-समय मानस-थल में रख मस्तक बन्धु! तुम्हारी गोद।
निरख तुम्हें अपलक नेत्रों से मर जाऊँगी मैं अति मोद॥
मरने पर भी सदा रहेगा मेरा तुमसे प्रिय सबन्ध।
टूट नहीं सकता वह, जहाँ न होती काम-कलुष की गन्ध॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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