प्रभु मेरो मन ऐसो ह्वै जावै -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

वंदना एवं प्रार्थना

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राग केदारा - ताल तीन ताल


प्रभु! मेरो मन ऐसो ह्वै जावै।
विषयन को विष सगरो उतरै, पुनि नहिं कबहूँ छावै॥
बिनसै सकल कामना मनकी, अनत न कतहूँ धावै।
निरखत निरत निरन्तर माधुरि, स्याम मुरति सुख पावै॥
कामी जिमि कामिनि-सँग चाहै, लोभी धन मन लावै।
तिमि अबिरत निज प्रियतमकी सुधि, छिन इक नहिं बिसरावै॥
ममता सकल जगतकी छूटै, मधुर स्याम छबि भावै।
तव आनन-सरोज-रस-चाखन मन मधुकर बनि जावै॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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