नाथ! अब मो पै कृपा करौ -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

श्रीराधा माधव लीला माधुरी

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राग आडाणा - तीन ताल


नाथ! अब मो पै कृपा करौ!
जसुमति मैया के नारायन! मो पै आजु ढुरौ॥
मोरे मन तैं मधुर स्याम की सुधि ततकाल हरौ।
जातैं भूलि सकैं वे मो कूँ सुख हो बिनैं खरौ॥
प्रिय-सुख-काज प्रान जो जावैं, मेरो काज सरौ।
या तैं अधिक लाभ नहिं दूजो मो कूँ समुझि परौ॥[1]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पद संख्या 376 तक एक ही लीला-प्रसंग है।

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