जमुपुर द्वारे, लगे तिनमें केवारे,
कोऊ हैं न रखवारे ऐसे बन के उजार हैं।
कहै ‘पदमाकर’ तिहारे प्रन धारे,
तेऊ करि अधमारे सुरलोक को सिधारे हैं।
सुजन सुखारे करे पुन्य उजियारे,
अति पतित कतारे भवसिंधु तें उतारे हैं।
काहू ने न तारे तिन्हैं गंगा तुम तारे,
और जेते तुम तारे तेते नभ में न तारे हैं॥3॥