बिधि के कमंडलु की सिद्धि है प्रसिद्धि यही -पद्माकर

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बिधि के कमंडलु की सिद्धि है प्रसिद्धि यही (गंगा-स्तुति) -पद्माकर


बिधि के कमंडलु की सिद्धि है प्रसिद्धि यही,
हरि-पद-पंकज-प्रताप की लहर है।
कहै ‘पदमाकर’ गिरीस–सीस-मंडल के,
मुंडन की माल ततकाल अघहर है।
भूपति भगीरथ के रथ को सुपुन्य पथ,
जह्नु–जप-जोग-फल-फैल की फहर है।
छेम की लहर, गंगा रावरी लहर,
कलिकाल को कहर, जम जाल को जहर है॥2॥

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