गीता रहस्य -तिलक पृ. 240


गीता रहस्य अथवा कर्मयोग शास्त्र -बाल गंगाधर तिलक

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नवां प्रकरण

ऋग्वेद में वर्णित इन्हीं मूल द्रव्यों का आगे अन्यान्य स्थानों में इस प्रकार उल्लेख किया गया है, जैसे:-

  1. जल का, तैत्तिरीय ब्राह्मण में ‘आपोवा इदमग्रे सलिलमासीत’- यह सब पहले पतला पानी था[1];
  2. असत् का, तैत्तिरीय उपनिषद में ‘असद्वा इदमग्र आसीत’- यह पहले असत् था[2];
  3. सत का, छांदोग्य में ‘सदेव सौम्येदमग्न आसीत’– यह सब पहले सत ही था[3] अथवा
  4. आकाश का, ‘आकाश:

परायणम्’- आकाश ही सब का मूल है[4];

  1. मृत्यु का, वृहदारणयक में ‘नैवेह किंचनाग्र आसीन्मृत्युनैवेदमाघृतमासीत’- पहले यह कुछ भी न था, मृत्यु से सब आच्छादित रहा[5]; और
  2. तम का, मैत्र्युपनिषद में ‘तमो वा इदमग्र आसीदेकम’[6]- पहले यह सब अकेला तम (तमोगुणी, अन्धकार) था- आगे उससे रज और सत्त्व हुआ। अंत में इन्हीं वेदवचनों का अनुसरण करके मनुस्मृति में सृष्टि के आरम्भ का वर्णन इस प्रकार किया गया है:-

आसीदिंद तमोभूतमप्रज्ञातमलक्षणम् ।
अप्रतर्क्यमविज्ञेयं प्रसुप्तमिव सर्वत: ॥

अर्थात “यह सब पहले तम से यानी अन्धकार से व्याप्त था, भेदाभेद नहीं जाना जाता था, अगम्य और निद्रित सा था; फिर आगे इसमें अव्यक्त परमेश्वर ने प्रवेश करके पहले पानी उत्पन्न किया”[7]। सृष्टि के आरम्भ के मूल द्रव्य के सम्बन्ध में उक्त वर्णन या ऐसे ही भिन्न भिन्न वर्णन नासदीय सूक्त के समय भी अवश्य प्रचलित रहे होंगे; और उस समय भी यही प्रश्न उपस्थित हुआ होगा, कि इनमें कौन सा मूल-द्रव्य सत्य माना जावे?

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. तै. ब्रा. 1. 1. 3.5
  2. तै.2.7
  3. छां. 6.2
  4. छां.1.9
  5. वृह. 1.2.1
  6. मै. 5. 2
  7. मनु. 1.5-8

संबंधित लेख

गीता रहस्य अथवा कर्म योग शास्त्र -बाल गंगाधर तिलक
प्रकरण नाम पृष्ठ संख्या
पहला विषय प्रवेश 1
दूसरा कर्मजिज्ञासा 26
तीसरा कर्मयोगशास्त्र 46
चौथा आधिभौतिक सुखवाद 67
पाँचवाँ सुखदु:खविवेक 86
छठा आधिदैवतपक्ष और क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ विचार 112
सातवाँ कापिल सांख्यशास्त्र अथवा क्षराक्षर-विचार 136
आठवाँ विश्व की रचना और संहार 155
नवाँ अध्यात्म 178
दसवाँ कर्मविपाक और आत्मस्वातंत्र्य 255
ग्यारहवाँ संन्यास और कर्मयोग 293
बारहवाँ सिद्धावस्था और व्यवहार 358
तेरहवाँ भक्तिमार्ग 397
चौदहवाँ गीताध्यायसंगति 436
पन्द्रहवाँ उपसंहार 468
परिशिष्ट गीता की बहिरंगपरीक्षा 509
- अंतिम पृष्ठ 854

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