राधा माधव रस सुधा पृ. 29

श्री राधा माधव रस सुधा -हनुमान प्रसाद पोद्दार

[षोडशगीत]

Prev.png

श्रीकृष्ण के प्रेमोद्गार-श्रीराधा के प्रति

(राग वागेश्र-तीन ताल)

प्यारी राधे! तू ही मेरे चित्त को रंजन करने वाली है- (नहीं-नहीं) तू ही मेरी चेतनता है-तेरी ही सत्ता से मैं चेतन बना हुआ हूँ। तू ही मेरी सनातन आत्मा है और मैं तेरी आत्मा हूँ-इससे अधिक और क्या कहूँ ॥ 1॥

तेरे जीवन से ही मेरा जीवन है और तेरे प्राणों से ही मेरे प्राणों की सत्ता है। मेरे मन, बुद्धि, नेत्र, कान, त्वचा, रसना और घ्राणेन्द्रिय (नासिका) तू ही है ॥ 2॥

मेरी स्थूल एवं सूक्ष्म इन्द्रियों के सुख रूप विषय तू ही है। तू ही मैं है और मैं ही तू हूँ। बस, तेरा-मेरा सम्बन्ध उपमारहित-अद्वितीय है ॥ 3॥

तेरे बिना मेरी कुछ हस्ती नहीं और मेरे बिना तेरा कुछ अस्तित्व नहीं। तेरा-मेरा यह अनोखा अविनाभाव सम्बन्ध है-मेरे बिना तू और तेरे बिना मैं नहीं रह सकता। बस, यही जीवन का तत्व-सार है ॥ 4॥

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

सम्बंधित लेख

राधा माधव रस सुधा
क्रम संख्या अध्याय पृष्ठ संख्या
1. महाभाव-रसराज-वन्दना 2
2. राग मालकोस-तीन ताल 4
3. राग रागेश्वर-ताल दादरा 6
4. राग भैरव-तीन ताल 8
5. राग भैरवी-तीन ताल 10
6. राग परज-तीन ताल 12
7. राग परज-तीन ताल 14
8. राग भैरवी तर्ज-तीन ताल 16
9. राग भैरवी तर्ज-तीन ताल 18
10. राग गूजर-ताल कहरवा 20
11. राग गूजर-ताल कहरवा 22
12. राग शिवरंजन-तीन ताल 24
13. राग शिवरंजन-तीन ताल 26
14. राग वागेश्र-तीन ताल 28
15. राग वागेश्र-तीन ताल 30
16. राग भैरव-तीन ताल 34
17. राग भैरवी तर्ज-तीन ताल 36
18. पुष्पिका 38
अंतिम पृष्ठ 39

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः