राधा माधव रस सुधा पृ. 20

श्री राधा माधव रस सुधा -हनुमान प्रसाद पोद्दार

[षोडशगीत]

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श्रीकृष्ण के प्रेमोद्गार-श्रीराधा के प्रति

(राग गूजर-ताल कहरवा)

राधे! हे प्रियतमे! प्राण-प्रतिमे! हे मेरी जीवन-मूल!
पल भर भी न कभी रह सकता, प्रिये! मधुर मैं तुमको भूल ॥ 1॥

श्वास-श्वास में तेरी स्मृतिका नित्य पवित्र स्त्रोत बहता ।
रोम-रोम अति पुलकित तेरा आलिंगन करता रहता ॥ 2॥

नेत्र देखते तुझे नित्य ही, सुनते शब्द मधुर यह कान ।
नासा अंग-सुगन्ध सूँघती, रसना अधर-सुधा-रस-पान ॥ 3॥

अंग-अंग शुचि पाते नित ही तेरा प्यारा अंग-स्पर्श ।
नित्य नवीन प्रेम-रस बढ़ता, नित्य नवीन ह्रदय में हर्ष ॥ 4॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

सम्बंधित लेख

राधा माधव रस सुधा
क्रम संख्या अध्याय पृष्ठ संख्या
1. महाभाव-रसराज-वन्दना 2
2. राग मालकोस-तीन ताल 4
3. राग रागेश्वर-ताल दादरा 6
4. राग भैरव-तीन ताल 8
5. राग भैरवी-तीन ताल 10
6. राग परज-तीन ताल 12
7. राग परज-तीन ताल 14
8. राग भैरवी तर्ज-तीन ताल 16
9. राग भैरवी तर्ज-तीन ताल 18
10. राग गूजर-ताल कहरवा 20
11. राग गूजर-ताल कहरवा 22
12. राग शिवरंजन-तीन ताल 24
13. राग शिवरंजन-तीन ताल 26
14. राग वागेश्र-तीन ताल 28
15. राग वागेश्र-तीन ताल 30
16. राग भैरव-तीन ताल 34
17. राग भैरवी तर्ज-तीन ताल 36
18. पुष्पिका 38
अंतिम पृष्ठ 39

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