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राधा कृष्ण कृपा कटाक्ष स्तोत्र
अथा श्री राधा कवचम्धर्मार्थकाममोक्षेषु विनियोगः प्रकीर्तितः। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन सब में ही इसका विनियोग किया जाता है। (कवच के मूल शब्दों का भावार्थ इस प्रकार जानना चाहिये) श्री राधा जी मेरे मस्तक और ललाट की रक्षा करे, श्रीमती दोनों नेत्रों को और गोपेन्द्रनन्दिनी दोनों कानों की रक्षा करें तथा श्री हरिप्रिया जी नासिका की और शशि शोभना जी दोनों भृकुटियों की रक्षा करे। ओष्टं पातु कृपा देवी अधरं गोपिका तथा। श्री कृपा देवी ऊपर के होठ की ओर गोपिका जी नीचे के होठ की रक्षा करें, ऊपर के दांतों की श्री वृषभानु सुता और ठोड़ी की श्री गोपनन्दिनी जी रक्षा करें। कपोलों (गालों) की चन्द्रावली जी रक्षा करें और श्री कृष्ण प्रियाजी जीभ की रक्षा करें। श्री हरि प्रिया कंठ की और विजया जी हृदय की रक्षा करें। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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