फागु की भीर, अभीरिन में गहि -पद्माकर फागु की भीर, अभीरिन में गहि गोंवदै लै गई भीतर गोरी। भाई करी मन की पद्माकर, ऊपर नाई अबीर की झोरी छीनि पितंबर कम्मर तें सु बिदा दई मीड़ि कपोलन रोरी। नैन नचाय कही मुसुकाय, 'लला फिर आइयो खेलन होरी' संबंधित लेख - वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह क्ष त्र ज्ञ ऋ ॠ ऑ श्र अः