गोकुल के, कुल के, गली के -पद्माकर

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गोकुल के, कुल के, गली के -पद्माकर


गोकुल के, कुल के, गली के गोप गाँवन के
जौ लगि कछू को कछू भाखत भनै नहीं।
कहैं पद्माकर परोस पिछवारन के
द्वारन के दौरे गुन-औगुन गनै नहीं
तौ लौं चलि चातुर सहेली! याही कोद कहूँ
नीके कै निहारै ताहि, भरत मनै नहीं।
हौं तौ स्याम रंग में चोराइ चित चोराचोरी
बोरत तौ बोरयो, पै निचोरत बनै नहीं

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