नाथ मनें अबकी बार बचा‌ओ -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

वंदना एवं प्रार्थना

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राग भीमपलासी - ताल तीन ताल


मारवाड़ी बोली

नाथ! मनें अबकी बार बचा‌ओ
फँस्यो आय मैं भँवर-जाल, निकलणकी बाट बता‌ओ।
रस्तो भूल्यो, मिल्यो अँधेरो, मारग आप दिखा‌ओ॥
दुखियानै उद्धार करण को, थाँरै घणो उमा‌ओ।
मेरै जिस्यो दुखी कुण जग में, प्रभुजी आप बता‌ओ॥
भोत कष्ट मैं भुगत्या स्वामी, अब तो फंद कटा‌ओ।
धीरज ग‌ई, धरम भी छूट्यो, आफत आप मिटा‌ओ॥
आरत भोत हो रह्यो प्रभुजी! अब मत बार लगा‌ओ।
करो माफ तकसीर दास की, सरण मनैं बकसा‌ओ॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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