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मूल फ़ाइल (491 × 800 चित्रतत्व, संचिका का आकार: 142 KB, माइम प्रकार: image/jpeg)
विवरण (Description) | भगवान् का प्राकट्य |
आभार (Credits) | गीता प्रेस, गोरखपुर |
अन्य विवरण | माता देवकी के इस आठवें गर्भ के प्रसव का समय जैसे-जैसे समीप आ रहा था, वैसे-वैसे उनकी शोभा बढ़ती जा रही थी। उनका तेज देख कंस को भी विश्वास हो गया था कि यह गर्भ निश्चय ही उसका काल है। उसने कारागार पर पहरा और कड़ा कर दिया। |
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दिनांक/समय | अंगूठाकार प्रारूप | आकार | सदस्य | टिप्पणी | |
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सद्य | 12:47, 11 मार्च 2018 | 491 × 800 (142 KB) | गंगा (वार्ता | योगदान) |
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