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मूल फ़ाइल (493 × 800 चित्रतत्व, संचिका का आकार: 168 KB, माइम प्रकार: image/jpeg)
विवरण (Description) | कौरव-सभा में विराट् रूप |
आभार (Credits) | गीता प्रेस, गोरखपुर |
अन्य विवरण | पाण्डवों के वनवास और अज्ञातवास की अवधि पूरी हो चुकी थी। शर्त के अनुसार उन्हें अपना राज्य वापस मिलना चाहिये था, किंतु दुष्ट दुर्योधन कैसे मानता भला? उसने पाण्डवों को उनका अधिकार देने से साफ इनकार कर दिया। |
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दिनांक/समय | अंगूठाकार प्रारूप | आकार | सदस्य | टिप्पणी | |
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सद्य | 13:54, 11 मार्च 2018 | 493 × 800 (168 KB) | गंगा (वार्ता | योगदान) |
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