केशी घाट वृन्दावन

केशी घाट वृन्दावन
केशी घाट, वृन्दावन
विवरण 'केशी घाट' भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। इसी स्थान पर श्रीकृष्ण ने केशी नामक दैत्य का वध किया था।
राज्य उत्तर प्रदेश
ज़िला मथुरा
प्रसिद्धि श्रीकृष्ण लीला स्थली
कब जाएँ कभी भी
संबंधित लेख ब्रज, मथुरा, वृन्दावन, कृष्ण, कृष्णलीला, केशी
अन्य जानकारी इस घाट पर केशी दैत्य कृष्ण का वध करने के लिए घोड़े का रूप धारण कर आया था। केशी वध के कारण ही इस स्थान का नाम केशी घाट पड़ा था।
अद्यतन‎ 04:36 20 जुलाई, 2016 (IST)

केशी घाट मथुरा के विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल वृन्दावन में यमुना के किनारे 'चीर घाट' से कुछ पूर्व दिशा में अवस्थित है। श्रीकृष्ण ने यहाँ केशी दैत्य का वध किया था, इसीलिए इस घाट का नाम केशी घाट पड़ा।

कथा

एक समय सखाओं के साथ कृष्ण यहाँ गोचारण कर रहे थे। तब उनके सखा मधुमंगल ने हँसते हुए श्रीकृष्ण से कहा- "प्यारे सखा! यदि तुम अपना मोरमुकुट, मधुर मुरलिया और पीतवस्त्र मुझे दे दो तो सभी गोप-गोपियाँ मुझे ही प्यार करेंगी तथा रसीले लड्डू मुझे ही खिलाएँगी। तुम्हें कोई पूछेगा भी नहीं। भगवान कृष्ण ने हँसकर अपना मोरपंख, पीताम्बर, मुरली और लकुटी उसे दे दी।

श्रीकृष्ण की इन वस्तुओं को पाकर सखा मधुमंगल इठलाता हुआ इधर-उधर घूमने लगा। इतने में ही महापराक्रमी केशी दैत्य विशाल घोड़े का रूप धारण कर कृष्ण का वध करने के लिए हिनहिनाता हुआ वहाँ उपस्थित हुआ। उसने महाराज कंस से सुन रखा था कि जिसके सिर पर मोरपंख, हाथों में मुरली, अंगों पर पीतवसन देखो, उसे ही कृष्ण समझकर अवश्य मार डालना। केशी ने कृष्ण बने हुए मधुमंगल को देखकर अपने दोनों पिछले पैरों से आक्रमण किया। कृष्ण ने झपटकर पहले मधुमंगल को बचा लिया। इसके पश्चात् केशी दैत्य का वध किया।

मधुमंगल को केशी दैत्य के पिछले पैरों की चोट तो नहीं लगी, किन्तु उसकी हवा से ही उसके होश उड़ गये। केशी वध के पश्चात् वह सहमा हुआ तथा लज्जित होता हुआ कृष्ण के पास गया तथा उनकी मुरली, मयूरमुकुट, पीताम्बर लौटाते हुए बोला- "मुझे लड्डू नहीं चाहिए। प्राण बचे तो लाखों पाये।" सभी ग्वाल-बाल हँसने लगे। आज भी केशी घाट इस लीला को अपने हृदय में संजोये हुए विराजमान है।

वीथिका

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