आर्षिक

आर्षिक अथवा 'असिक' आधुनिक महाराष्ट्र में कृष्णा नदी के तट पर अवस्थित था। पतंजलि के 'महाभाष्य'[1] में भी आर्षिक का उल्लेख हुआ है। महाभारत में आर्षिक का तीर्थ के रूप में नामोल्लेख है। यह शायद पुष्कर के पार्श्ववर्ती प्रदेश में स्थित था।

  • गौतमीपुत्र शातकर्णि की नासिक प्रशांति में असिक का उल्लेख है। प्रो. हेमचंद्र रायचौधरी की मान्यता है कि यह असम्भव नहीं कि उत्तर में विदर्भ, पूर्व में आन्ध्र देश और दक्षिण में अनेगुण्डी से घिरे प्रदेश को असिक कहते रहे हों।
  • असिक कृष्णा की घाटी के मध्य भाग में रहा होगा, जबकि उसकी निचली घाटी में तेलगू लोग और ऊपरी भाग में कर्णाट रहे होंगे।
  • आर्षिक को महारानी गौतमी बलश्री के नासिक अभिलेख [2] में उसके पुत्र सातवाहन नरेश गौतमी पुत्र के राज्य में सम्मिलित बताया गया है। अभिलेख में आर्षिक का प्राकृत नाम असिक दिया हुआ है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभाष्य 14, 22
  2. द्वितीय शती ईसवी

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