हौ या माया ही लागी तुम कत तोरत -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग कान्हरौ


हौ या माया ही लागी तुम कत तोरत।
मेरौ तौ जिय तिहारै चरननि ही मैं लाग्यौ, धीरज क्यौ रहै रावरे मुख मोरत।।
कोऊ ले बनाइ बातै, मिलवति तुम आगै, सोई किन आइ मोसौ अब है जोरत।
'सूरदास' पिय, मेरे तो तुमहि हौ जु जिय, तुम बिनु देखै मेरी हियो ककोरत।।1945।।

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