हौ गई बछरा मिलावन -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

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राग विभास




हौ गई बछरा मिलावन स्याम ने बान मारी।
धरनी मुरछि परी सुनि सजनी तन की सुधिहुँ बिसारी।।
सखी एक जब जल मुख धोयौ क्रम क्रम अँचल सम्हारी।
‘सूर’ के प्रभु बरजौ इनि अँखियनि ये सबही तै न्यारी।। 40 ।।

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