हौं प्रभु जू कौ आयसु पाऊँ -सूरदास

सूरसागर

नवम स्कन्ध

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राग मारू


 
हौं प्रभु जू कौ आयसु पाऊँ।
अवहीं जाइ उपारि लंक गढ़, उदधि-पार लै आऊँ।
अवहीं जंबू द्वीप इहाँ तैं लै लंका पहुँचाऊँ।
सोखि समुद्र उतारौं कपि-दल छिनक विलंब न लाऊँ।
जब आवै रघुवीर जीति दल, तौ हनुमंत कहाऊँ।
सूरदास सुभ पुरी अजोध्या, राघव सुवस बसाऊँ॥109॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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