हूँ नहीं मैं कभी उनको भूलती -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

श्रीराधा माधव लीला माधुरी

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राग गुनकली - ताल रूपक


हूँ नहीं मैं कभी उनको भूलती।
इसी कारण, बस, जो रहती झूरती-
सदा उनके सरल मन में मैं बुरी।
(यह) स्मृती ही आघात करती बन छुरी॥
भूल उनको मैं अगर जाऊँ अभी।
तो न हो फिर दुःख प्रियतमको कभी॥
प्राण का आधार है प्रिय का स्मरण।
प्राण हर लेगा तुरत ही विस्मरण॥
किन्तु दुःख-विमुक्त हों यदि प्राणधन।
लाख ऐसे प्राण दूँगी-सुखी मन॥
श्याम की स्मृति अभी तुम हर लो प्रभो!
मरूँ सुख से, हों सुखी प्रियतम विभो!॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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