श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
साहित्य
संस्कृत-साहित्य
इन दोनों सूचियों में निकुंज रहस्य-स्तव का नाम नहीं है। श्री रूप गोस्वामी के 64 स्तोत्रों का संकलन श्री जीव गोस्वामी ने ‘स्वतमाला’ नाम से किया है किंतु इस में भी निकुंज रहस्य स्वत नामक कोई स्तोत्र नहीं हैं। निकुंज रहस्य स्तव और निेकुंज विलास स्तव का पाठ बिलकुल एक है। लेखक ने राधावल्लभीय गोस्वामी व्रजवल्लभलाल जी के यहाँ निकुंज विलास स्तव की एक हस्तलिखित प्रति देखी है जिसमें उसको श्री प्रबोधानंद कृत बतलाया गया है। श्री प्रबोधानंद कृत श्री हरिवंशाष्टक का उल्लेख हम पीछे कर चुके हैं। इसमें हिताचार्य को वंशी का अवतार[1] और सखी का स्वरूप बतलाया गया है। श्रीकृष्णचन्द्र गोस्वामी:- यह हित महाप्रभु के द्वितीय पुत्र थे और इनका जन्म सं० 1586 में हुआ था। यह संस्कृत के बडे़ प्रौढ़ विद्वान और छंद शास्त्र के पूर्ण मर्मज्ञ थे। इनकी अनेक संस्कृत-रचनाएँ प्राप्त हैं किंतु उनमें से केवल ‘उपराधा-सुधानिधि’ ही अभी तक प्रकाशित हुई है। नवीन भावों की उद्भावना में गोस्वामी जी अत्यंत कुशल हैं। इनकी रचनाओं से गम्भीर पाण्डित्य और सुक्ष्म रसज्ञता प्रकट होती हैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ त्वमसिहि हरिवंश श्यामचंद्रस्यवंश:, परम रसद नादैर्मोहिताशेष विश्व:। अनुपम गुण रत्नैनिर्मितोसि द्विजेन्द्र, मम हृदि तव गाथा चित्र रेखेव लग्ना ।।
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