श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
साहित्य
संस्कृत-साहित्य
कुछ श्लोकों में राधा सुधानिधि की पंक्तियां रखी मिलती है।[1] राधा सुधानिधि की ही भाँति इस ग्रन्थ में श्यामसुन्दर से उनकी प्रिया के चरण प्रदान करने को प्रार्थना की गई है।[2] अनंग जय मङ्गलध्वनित किंकिणी डिंडिम, गता दूरे गावो दिनमपि तुरीयाशमभजद्,
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अर्थ श्री गोविन्द विकसदरविन्देक्षणा लसत्, कृपादृष्टया पूर्ण प्रणयरस-वृष्ट्यास्नपपति। स्थिता नित्यं पार्श्वे विविध परिचर्यैक चतुरा, न केषा चिद्द्दश्यं रसिक मिधुनं साश्रित वती ।। (सं० मा० 3-13) दुकूलं विभ्राणामथ कुच तटे कंचुक पटं, प्रसादं स्वामिन्या: स्व करतल दत्त प्रणयत:। स्थितां नित्यं पार्श्वे विविध परियर्यैक चतुरा, किशोरीमाल्मानं किमिहं सुकुमारी ने कलये ।। (रा० नि० 42)
- ↑ माधव रसमय परमानंद। निऊ दायिता पददास्य रसे मामभिषेचय सुखकंद ।। (सं. मा.31) आर्नदमूर्ते कुरु! निज वल्लभाया:, पादारविंदे कुरु, किंकरी माम्। (सं० मा० 3-12)
- ↑ (सु० नि० 224)
- ↑ (सं० मा० 4-8)
संबंधित लेख
विषय | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज