श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
साहित्य
संस्कृत-साहित्य
इसके विपरीत हम जिन प्रबोधानंद का परिचय यहाँ दे रहे है उनके राधावल्लभीय होने के बिलकुल सम-सामयिक प्रमाण उपलब्ध हैं। श्री हरिराम व्यास प्रबोधानंद सरस्वती के समकालीन थे। ‘साधुनि को स्तुति’ में उन्होंने श्री प्रबोधानंद की प्रशंसा में भी एक पद लिखा है और उसमें उनको श्री हित हरिवंश का कृपापात्र बतलाया है। प्रबोधानंद से कवि थोरे । सहज माधुरी बचननि रसिक अनन्यनि के चित चोरे । चारु चरन नखचंद बिम्ब में राखे नैंन चकोरे । |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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