श्रीहित हरिवंश गोस्वामी:संप्रदाय और साहित्य -ललिताचरण गोस्वामी
साहित्य
श्री हित रूपलाल काल के अन्य प्रमुख वाणीकार
श्री श्रानंदी बाई:- यह श्री हित रूपलाल गोस्वामी के पुत्र भी रसिकानंद लाल गोस्वामी की शिष्या थीं। साहित्यिक दृष्टि से इनकी वाणी का अधिक महत्त्व नहीं है, किंतु उसमें प्रत्यक्ष अनुभव का प्रभाव स्पष्ट दिखलाई देता है। आनंदी बाई जी से पूर्व हित प्रभु की शिष्या गंगाबाई और यमुनाबाई ने भी बाणी-रचना की थी किंतु वे अब प्राप्त नहीं है। इस दृष्टि से आनंदी बाई की वारगी का महत्त्व बढ़ जाता है। इनका ‘निजु भाव विचार श्री हित शेष प्रकाश’ नामक एक समय-प्रबंध और कुछ फुटकर रचनायें प्राप्त है। इनकी संपूर्ण रचना दोहे, चौपाईयों और छप्प्यों में है। ‘निजुभाव विचार’ सं० 1840 में पूर्ण हुआ है। अठारह सै चालीसिया संवत माधौ मास । इनके कुछ चुने हुए दोहे दिये जाते है:- रूप प्रेम रस गहर में बूडे़ ललना लाल । |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
विषय | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज