हरि जू इते दिन कहाँ लगाए -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग सारंग


हरि जू इते दिन कहाँ लगाए।
तबहि अवधि मैं कहत न समुझी, गनत अचानक आए।।
भली करी जु बहुरि इन नैननि, सुदर दरस दिखाए।
जानी कृपा राज काजहु हम, निमिष नही बिसराए।।
विरहिनि विकल विलोकि ‘सूर’ प्रभु, धाइ हृदय करि आए।
कछु इक सारथि सौ कहि पठयो, रथ के तुरंग छुड़ाए।। 4288।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः