विषय सूची 1 पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार 1.1 श्रीराधा-कृष्ण-जन्म-महोत्सव एवं जय-गान 2 टीका टिप्पणी और संदर्भ 3 संबंधित लेख पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार श्रीराधा-कृष्ण-जन्म-महोत्सव एवं जय-गान राग देवगंधार - ताल रूपक हरि अवतरे कारागार॥ दिसि सकल भइँ परम निरमल अभ्र सुषमा-सार। लता बिटप सुपल्लवित पुष्पित नमत फल भार॥ सुखद मंद सुगंध सीतल बहत मलय बयार। देवगन हरषत सुमन बरसत करत जयकार॥ बिनय करत बिरंचि नारद सिद्ध बिबिध प्रकार। करत किंनर गान बहु गंधरब हरष अपार॥ संख-चक्र-गदा-नवांबुज लसत हैं भुज चार। भृगुलता कौस्तुभ सुसोभित, कांति के आगार॥ नौमि नीरद नील नव तनु, गले मुकताहार। पीत पट राजत, अलक लखि अलिहु करत पुकार॥ परम बिस्मित देखि दंपति छबिहिं अमित उदार। निरखि सुंदरता अपरिमित लजत कोटिन मार॥ टीका टिप्पणी और संदर्भ संबंधित लेख देखें • वार्ता • बदलेंपद रत्नाकर वंदना एवं प्रार्थना • श्रीराधा माधव स्वरूप माधुरी • बाल-माधुरी की झाँकियाँ • श्रीराधा माधव लीला माधुरी • श्रीकृष्ण के प्रेमोद्गार • श्रीराधा के प्रेमोद्गार-श्रीकृष्ण के प्रति • प्रेम तत्त्व एवं गोपी प्रेम का महत्त्व • श्रीराधा कृष्ण जन्म महोत्सव एवं जय गान • अभिलाषा वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह क्ष त्र ज्ञ ऋ ॠ ऑ श्र अः