हरि-हर संकर, नमो नमो।
अहिसायी, अहि-अंग-विभूषन, अमित-दान, बल-बिष-हारी।
नीलकंठ, बर नील कलेवर, प्रेम-परस्पर, कृतहारी।
चंद्रचूड़, सिखि-चंद्र-सरोरुह, जमुना-प्रिय, गंगाधारी।
सुरभि-रेनु-तन, भस्म- बिभूषित, वृष-बाहन, बन-वृष-चारी।
अज-अनीह-अबिरुद्ध-एकरस, यहै अधिक ये अवतारी।
सूरदास सम, रूप-नाम-गुन अन्तर अनुचर-अनुसारी।।171।।