हम तुम सौं बिनती करैं, जनि आँखिनि भरौ गुलाल।
सह्यौ परत हम पै नहीं, तेरौ निपट अनोखौ ख्याल।।
दरसन तै अंतर परै, हो करहु अबीर अबीर।
तुमहिं कहौ कैसे जियै, जहँ मीन न पावै नीर।।
स्याम तुम्हारै रँग रँगी हैं, और न रंग सुहाइ।
नितही होरी खेलियै हो, तुम सँग जादवराइ।।
यह फगुवा हम पावहीं, हो चितवनि मृदु मुसुकान।
'सूर' स्याम ऐसैं करौ जू, तुम हौ जीवनप्रान।।2882।।